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भाई दूज पर हिंदी में निबंध इतिहास रोचक कथा कहानी और भाईदूज की पूजा विधि तथा कविता शायरी शुभकामनायें संदेश For Bhai Dooj 2016 in Facebook Whatsapp Messages in Hindi

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Bhai Duj in Hindi भाई दूज

Bhai dooj Katha Nibandh Mahatva muhurat history shayari Status In Hindi भाई दूज महत्व निबंध मुहुर्रत कथा बधाई शायरी पढ़े एवम कैसे शुरू हुआ, यह भाई बहन का त्यौहार विस्तार से जाने.

Essays on Bhai Duj in Hindi

भारत देश के त्यौहार प्रेम के रिश्ते से ही बनते हैं, कई पौराणिक कथाओं से सिद्ध हुआ हैं कि भाई बहन का रिश्ता सदैव एक दुसरे में प्राण न्यौछावर के लिए तैयार रहता हैं. भाई दूज की कथा में भी कुछ ऐसी ही रोचक कहानी हैं, जिसमे बहन अपने भाई की सारी विपत्तियों को पहले स्वयं पर लेती हैं. बहना हमेशा ही अपने भाई की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन की प्रार्थना करती हैं और बदले में उससे कुछ नहीं मांगती| ऐसा ही हैं यह भाई दूज का पर्व. इसलिए इस दिन को यम द्वितीया भी कहते है.

भाई दूज का त्योहार भाई बहन के स्नेह को सुदृढ़ करता है। यह त्योहार दीवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है।

भाईदूज में हर बहन कुंकूं एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष देती हैं। भाई अपनी बहन को कुछ उपहार या दक्षिणा देता है।


Bhai Duj 2016 भाई दूज 2016


Bhai Duj 2016 भाई दूज :- भईया दूज भारत का प्रमुख और महत्वपूर्ण   त्यौहार है जब बहनें अपने प्रिय भाई की लम्बी उम्र और उनके समृद्ध जीवन के लिये कामना करती है। बहनें तिलक और पूजा की रस्म करती है और साथ ही अपने भाई से उपहार प्राप्त करती है। इसे भारत में विभिन्न स्थानों पर भाऊ बीज (गोवा, महाराष्ट्र और कर्नाटक में), भाई तिलक (नेपाल में), भरात्रु द्वितीया, भाउ-दीज, भाई फोटा (बंगाल में), नीनगोल चौकुबा (मणिपुर में) कहा जाता है।

यह भारत में सबसे ज्यादा मनाया जाने वाला त्यौहार है, जो मुख्य दिवाली के 2 दिन बाद मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह (अक्टूबर और नवंबर के बीच) कार्तिक के महीने में शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन पड़ता है। प्रत्येक बहन सुबह बहुत जल्दी उठकर देवी और देवताओं से अपने भाईयों के भविष्य और अच्छे स्वास्थ्य के लिये पूजा और प्रार्थना करती है। पूजा अनुष्ठान के बाद माथे पर रोली, दही और चावल लगाने के साथ उत्सव मनाया जाता है। इस रस्म के बाद वे आरती करती है और खाने के लिये मिठाई और पीने के लिये पानी देती है। अन्त में वे एक दूसरे को उपहार देते है और बडों के पैर छूकर आशीर्वाद लेते है।

यह देश के बाहर भी मनाया जाता है। यह रक्षा बंधन के त्यौहार की तरह है जो भाई-बहनों के बीच प्यार के बंधन को और भी मजबूत करता है। इस विशेष दिन पर बहनें अपने भाई के अच्छे और कल्याण के लिये भगवान से प्रार्थना करती है, जबकि भाई अपनी प्रिय बहन को अपना प्यार और स्नेह दिखाने के लिये अपनी क्षमता के अनुसार उपहार देते हैं। इस विशेष अवसर की उत्पत्ति और उत्सव से संबंधित विभिन्न प्रकार की कहानियॉं और किंवदंतियॉं हैं।


पूरे भारतवर्ष में 2016 में भाई दूज 01 नवम्बर,  को मनाया जायेगा।


bhai dooj 2016:- भाई दूज कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की दूज को मनाया जाता हैं. यह भाई बहन के प्रेम का त्यौहार है, यह दिवाली पर्व का सबसे अंतिम दिन होता हैं. वर्ष 2016 में यह 1 नवंबर को मनाई जाएगी.

पूजा काल    12:40 से 14:33
अवधि    1 घंटा 53 मिनट
भाई दूज महत्व एवम विधि (Bhai Dooj Mahatva Puja Vidhi)
यह भाई बहन के प्रेम का त्यौहार हैं. इसमें बहन अपने भाई को घर बुलाती हैं उसे तिलक करती हैं भोजन करवाती हैं और उसकी मंगल कामना करती हैं. इस दिन भाई बहन यमुना नदी में स्नान कर यमराज की पूजा करते हैं तो उनका भय समाप्त होता हैं. कहा जाता हैं इस दिन अगर यमुना नदी में स्नान किया हो और अगर सांप भी काट ले तो कोई असर नहीं होता.

भाईदूज दिवाली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं। भाईदूज में हर बहन कुंकूं एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष देती हैं। भाई अपनी बहन को कुछ उपहार या दक्षिणा देता है।

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाले इस पावन पर्व को ‘यम द्वितीया’ भी कहते हैं। इस त्योहार के पीछे एक किंवदंती यह है कि यम देवता ने अपनी बहन यमी (यमुना) को इसी दिन दर्शन दिया था, जो बहुत समय से उससे मिलने के लिए व्याकुल थी। अपने घर में भाई यम के आगमन पर यमुना ने प्रफुल्लित मन से उसकी आवभगत की। यम ने प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि इस दिन यदि भाई-बहन दोनों एक साथ यमुना नदी में स्नान करेंगे तो उनकी मुक्ति हो जाएगी।

इसी कारण इस दिन यमुना नदी में भाई-बहन के एक साथ स्नान करने का बड़ा महत्व है। इसके अलावा यमी ने अपने भाई से यह भी वचन लिया कि जिस प्रकार आज के दिन उसका भाई यम उसके घर आया है, हर भाई अपनी बहन के घर जाए। तभी से भाईदूज मनाने की प्रथा चली आ रही है। जिनकी बहनें दूर रहती हैं, वे भाई अपनी बहनों से मिलने भाईदूज पर अवश्य जाते हैं और उनसे टीका कराकर उपहार आदि देते हैं।

इसके अलावा कायस्थ समाज में इसी दिन अपने आराध्य देव चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। कायस्थ लोग स्वर्ग में धर्मराज का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त का पूजन सामूहिक रूप से तस्वीरों अथवा मूर्तियों के माध्यम से करते हैं। वे इस दिन कारोबारी बहीखातों की पूजा भी करते हैं। उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में इसी दिन ‘गोधन’ नामक पर्व मनाया जाता है जो भाईदूज की तरह होता है।
खबर-संसार


भाई दूज का इतिहास Bhai Duj History


भाई दूज का इतिहास :- भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा। कार्तिक शुक्ला का दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया।

यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया।

यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की। इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।

एक और कहानी के अनुसार, हिन्दू भगवान श्री कृष्ण राक्षस राजा नरकासुर को मारने के बाद, अपनी बहन सुभद्रा के पास आये जहाँ उनका स्वागत उनकी बहन ने तिलक, आरती, मिठाई और फूलों के साथ किया।


भाई दूज की रोचक कथा Bhai Dooj Katha


भाई दूज की रोचक कथा :- एक बूढी औरत के सात बेटे और एक बेटी थी. बेटो पर सर्प की कुदृष्टि थी. जैसे ही उसके बेटे की शादी का सातवा फैरा होता सर्प उसे डस लेता. इस प्रकार बुढ़िया के छ: बेटे मर गए. अब उसने एक बेटे की शादी नहीं की. लेकिन बेटे को इस तरह से अकेला देख उसकी बहन को बहुत दुःख हुआ. उसने उपाय करने की सोची जिसके लिए वो एक ज्योतिष के पास गई. ज्योतिष ने उससे कहा तेरे भाईयों पर सर्प की कुदृष्टि हैं. अगर तू उसकी सारी बलाये अपने पर लेले तो उसकी जान बच सकती हैं. बहन ने यह बात सुनते ही रोद्र रूप सा ले लिया. अपने मायके आकर बैठ गई और भाई कुछ भी करे उसके पहले उसे करना होता था. अगर कोई ना माने तो जोर-जोर से लड़ती और भाई को गलियाँ देती. ऐसे में सब डरकर उसकी बात मान लेते. सभी उसकी निंदा करने लगे. पर उसने भी भाई की रक्षा की ठान रखी थी.

अब उसके भाई की शादी का वक्त निकट आया, जैसे ही भाई को सेहरा बांधने को जीजा उठा. बहन चिल्लाने लगी कि पहले मेरा मान करो. मैं सहरा पहनूंगी. सबने उसे सेहरा दे दिया. उसके अंदर एक सांप था, जिसे बहन ने फेंक दिया. अब भाई घोड़े पर बैठा तो बोली की पहले मैं बैठूंगी वहाँ भी उसकी सुनी, जैसे ही वो बैठी घोड़े पर एक सांप था उसे भगाया. फिर बारात आगे निकली. जब दुल्हे का स्वागत हुआ. तब भी इसने कहा पहले मेरा स्वागत करो जैसे ही उसके गले में माला डाली उसमे भी सांप था. उसने उसे भी फेका. अब शादी शुरू हुई उस वक्त सांपो का राजा खुद डसने आया. तब बहन ने उसे पकड़ कर टोकनी में ढक दिया. फेरे होने लगे. तब नागिन बहन के पास आई बोली मेरे पति को छोड़. तब बहन बोली पहले मेरे भाई से अपनी कुदृष्टि हटाओ तब तेरे पति को छोडूंगी. नागिन ने ऐसा ही किया. इस प्रकार बहन ने दुनियाँ के सामने अपने आप को कर्कश साबित किया, लेकिन अपने भाई के प्राणों की रक्षा की.


भाई दूज का यह दिन किस तरह शुरू हुआ इसके पीछे की छोटी सी कहानी


भाई दूज के पीछे की छोटी सी कहानी :- यमराज एवम यमुना दोनों भाई बहन सूर्य देव और छाया की संताने हैं. दोनों में बहुत प्रेम था. बहन हमेशा अपने भाई को मिलने बुलाती लेकिन कार्य की अधिकता के कारण भाई बहन से मिलने नहीं जा पाता. एक दिन यमराज नदी के तट पर गया वही उसकी मुलाकात अपनी बहन यमुना से हुई. उससे मिलकर बहन बहुत खुश हुई. ख़ुशी में बहन ने अपने भाई का स्वागत किया, उसे मिष्ठान खिलायें. वह दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया का दिन था. तब ही यमी ने कहा कि भाई यमराज आज के बाद प्रति वर्ष आप मुझसे इसी दिन मिलने आओगे. तभी से यह दिन भाईदूज के नाम से जाना जाता हैं.

कहते हैं इस दिन जो भी भाई यमुना नदी का स्नान करता हैं उसे उस दिन मृत्यु का भागी नहीं बनना पड़ता. इस दिन उसके सारे संकट टल जाते हैं.


How to celebrate Bhai Duj भाई दूज कैसे मनाते है


भाई दूज कैसे मनाते है ? बहनें इस त्यौहार को मनाने के लिए अपने भाइयों से उनके प्रिय व्यंजन के साथ अपने घर आने के लिए अनुरोध करती है। इस दिन बहनें भगवान से अपने भाइयों को आशीर्वाद देने, सभी समस्याओं और बुरे भाग्य से संरक्षित करने की प्रार्थना करती है। हालांकि, भाई अपनी प्यारी और दयालु बहनों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते है।

अपने भाइयों के बैठने के लिये बहनें चावल के आटे से एक सीट बनाती है और एक रस्म करती है। वे चावल और सिंदूर का लेप लगा कर भाई के हाथों की पूजा करती हैं। फिर, बहन अपने भाई की हथेलियों पर कद्दू के फूल, पान के पत्ते, सुपारी और सिक्के रखती है। बहनें हथेली पर पानी डालते हुये मंत्रों का जाप करती है। हाथ पर कलावा बॉध कर, तिलक करके आरती करती है। बहनें दक्षिण की दिशा की तरफ चेहरा करके दीया जलाती है। यह माना जाता है कि, अपने भाई की लम्बी उम्र के लिये भगवान से की गयी प्रार्थना को पूरी होने के लिये आकाश में उडती हुई पतंग को देखना बहुत भाग्यशाली माना जाता है।

भारत में कुछ स्थानों जैसे: हरियाणा, महाराष्ट्र में यह त्यौहार मनाना बहुत सामान्य है; बिना भाई की बहनें (जिनका कोई भाई नहीं है), इस खास अवसर को भाई के स्थान पर हिन्दू देवता चन्द्रमा की पूजा करके मनाती है। बहनें अपनी रिवाज और परंपरा के अनुसार इस दिन अपने हाथों पर मेंहदी लगाती हैं।

जो बहनें अपने भाईयों से दूर होती है वे चन्द्र देव की आरती करके अपने भाई के जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाने की प्रार्थना करती है। वहीं भाई वापसी में अपनी बहन को बहुत सारा प्यार और उपहार ई-मेल, डाक या अन्य साधनों से भेजते है। बच्चों द्वारा चन्द्रमा को चन्दा मामा कहे जाने का यहीं मुख्य कारण है।


कैसे की जाती हैं भाईदूज की पूजा Bhai Dooj Puja Vidhi


 Bhai Dooj Puja Vidhi कैसे की जाती हैं भाईदूज की पूजा

How are worshiping Bai dug :- इस दिन बहने जल्दी से स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनती हैं. फिर ऐपन बनाकर उससे अपने हाथो के छापे बनाकर उनकी पूजा करती हैं.

कुछ बहने प्रथानुसार ऐपन से सात बहनों एवम एक भाई की आकृति बनाती हैं, इसके साथ ही एक तरफ सांप, बिच्छु आदि विपत्ति के रूप में बनाती हैं. फिर कथा पढ़ कर मुसल से भाई पर आने वाली विपत्ति को मार कर उसकी रक्षा करते हैं. इस प्रकार अपने भाई की खुशहाली के लिए बहने भगवान से प्रार्थना करती हैं.
पूजा के बाद बहने अपने भाई को तिलक कर आरती उतारती हैं इसके बाद ही स्वयं कुछ खाती हैं.


भाईदूज की पूजा विधि 2016 Bhai Dooj Puja Vidhi


Bhai Dooj Puja Vidhi 2016 :-  इस पूजा में भाई की हथेली पर बहनें चावल का घोल लगाती हैं उसके ऊपर सिन्दूर लगाकर कद्दू के फूल, पान, सुपारी मुद्रा आदि हाथों पर रखकर धीरे-धीरे पानी हाथों पर छोड़ते हुए कुछ मंत्र बोलती हैं जैसे ‘गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े’ इसी प्रकार कहीं इस मंत्र के साथ हथेली की पूजा की जाती है ‘सांप काटे, बाघ काटे, बिच्छू काटे जो काटे सो आज काटे’ इस तरह के शब्द इसलिए कहे जाते हैं क्योंकि ऐसी मान्यता है कि आज के दिन अगर भयंकर पशु काट भी ले तो यमराज के दूत भाई के प्राण नहीं ले जाएंगे। कहीं कहीं इस दिन बहनें भाई के सिर पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं और फिर हथेली में कलावा बांधती हैं। भाई का मुंह मीठा करने के लिए उन्हें माखन मिस्री खिलाती हैं। संध्या के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखती हैं। इस समय ऊपर आसमान में चील उड़ता दिखाई दे तो बहुत ही शुभ माना जाता है। इस संदर्भ में मान्यता यह है कि बहनें भाई की आयु के लिए जो दुआ मांग रही हैं, उसे यमराज ने कुबूल कर लिया है या चील जाकर यमराज को बहनों का संदेश सुनाएगा।

भारतीय में जितने भी पर्व त्योहार होते हैं वे कहीं न कहीं लोकमान्यताओं एवं कथाओं से जुड़ी होती हैं। इस त्योहार की भी एक पौराणिक कथा है। कथा के अनुसार, यमी  यमराज की बहन हैं जिनसे यमराज काफी प्रेम व स्नेह रखते हैं। कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को एक बार जब यमराज यमी के पास पहुंचे तो यमी ने अपने भाई यमराज की खूब सेवा सत्कार की। बहन के सत्कार से यमराज काफी प्रसन्न हुए और उनसे कहा कि बोलो बहन क्या वरदान चाहिए। भाई के ऐसा कहने पर यमी बोली की जो प्राणी यमुना नदी के जल में स्नान करे वह यमपुरी न जाए। यमी की मांग को सुनकर यमराज चिंतित हो गए। यमी भाई की मनोदशा को समझकर यमराज से बोली अगर आप इस वरदान को देने में सक्षम नहीं हैं तो यह वरदान दीजिए कि आज के दिन जो भाई बहन के घर भोजन करे और मथुरा के विश्राम घट पर यमुना के जल में स्नान करे उस व्यक्ति को यमलोक नहीं जाना पड़े। इस पौराणिक कथा के अनुसार आज भी परम्परागत तौर पर भाई बहन के घर जाकर उनके हाथों से बनाया भोजन करते हैं ताकि उनकी आयु बढ़े और यमलोक नहीं जाना पड़े। भाई भी अपने प्रेम व स्नेह को प्रकट करते हुए बहन को आशीर्वाद देते हैं और उन्हें वस्त्र, आभूषण एवं अन्य उपहार देकर प्रसन्न करते हैं।


भाई दूज का महत्व  The importance of Bhai Duj


भाई दूज का महत्व :- हरियाणा, महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा के लोग बहुत लगाव और आनन्द के साथ इस त्यौहार को मनाते हैं। यह वह समय है जब भाई-बहन एक दूसरे के लिए अपनी जिम्मेदारियों को याद करते है। जब परिवार के सभी सदस्य यह त्यौहार मनाने को एक साथ होते है तो यह भाई-बहन के रिश्ते और प्यार को संयुक्त और नवीनिकृत करता है। महाराष्ट्र में एक मीठा व्यंजन है जिसे बासुंदी पूरी या खीरनी पूरी के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार भाई और बहन के रिश्ते के बीच बहुत सारा सुख, स्नेह और सौहार्द लाता है। यह त्यौहार भाई और बहन का एक दूसरे के लिये प्यार और दायित्व को दर्शाने का तरीका है। पांच सुपारी और पान के पत्ते भाईयों के सिर पर उनकी बहनों द्वारा रखे जाते है। बहनों द्वारा भाईयों के हाथों पर पानी डालकर प्रार्थना की जाती है।

हिन्दू धर्म में भाई-बहन के स्नेह-प्रतीक दो त्योहार मनाये जाते हैं – एक रक्षाबंधन जो श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसमें भाई बहन की रक्षा करने की प्रतिज्ञा करता है। दूसरा त्योहार, ‘भाई दूज’ का होता है। इसमें बहनें भाई की लम्बी आयु की प्रार्थना करती हैं। भाई दूज का त्योहार कार्तिक मास की द्वितीया को मनाया जाता है।

भैया दूज को भ्रातृ द्वितीया भी कहते हैं। इस पर्व का प्रमुख लक्ष्य भाई तथा बहन के पावन संबंध व प्रेमभाव की स्थापना करना है। इस दिन बहनें बेरी पूजन भी करती हैं। इस दिन बहनें भाइयों के स्वस्थ तथा दीर्घायु होने की मंगल कामना करके तिलक लगाती हैं। इस दिन बहनें भाइयों को तेल मलकर गंगा यमुना में स्नान भी कराती हैं। यदि गंगा यमुना में नहीं नहाया जा सके तो भाई को बहन के घर नहाना चाहिए।

यदि बहन अपने हाथ से भाई को जीमाए तो भाई की उम्र बढ़ती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं। इस दिन चाहिए कि बहनें भाइयों को चावल खिलाएं। इस दिन बहन के घर भोजन करने का विशेष महत्व है। बहन चचेरी अथवा ममेरी कोई भी हो सकती है। यदि कोई बहन न हो तो गाय, नदी आदि स्त्रीत्व पदार्थ का ध्यान करके अथवा उसके समीप बैठ कर भोजन कर लेना भी शुभ माना जाता है।

इस दिन गोधन कूटने की प्रथा भी है। गोबर की मानव मूर्ति बना कर छाती पर ईंट रखकर स्त्रियां उसे मूसलों से तोड़ती हैं। स्त्रियां घर-घर जाकर चना, गूम तथा भटकैया चराव कर जिव्हा को भटकैया के कांटे से दागती भी हैं। दोपहर पर्यन्त यह सब करके बहन भाई पूजा विधान से इस पर्व को प्रसन्नता से मनाते हैं। इस दिन यमराज तथा यमुना जी के पूजन का विशेष महत्व है।


Bhai Dooj Essay


Bengali way of celebrating Bhai Dooj

Since ages, Bhai Phota is celebrated in every Bengali household as an propitious day, showcasing the the love and affection between the brother and sister. Though this love and affection is same as that shared between the brothers and sisters of other community, still the custom and rituals of Bengal are a bit different. The environment of the house becomes more alive and cheerful by the constant visit of friends and relatives, all invited for lunch and dinner.

The ritual that is similar to other communities is putting the tilak by sisters on their brothers forehead and performing the arti in order to save him from all kind of evils. In Bengal, a combination of sandal wood paste (chandan), red chandan, home made kajal, is used to apply the tilak while in other regions a red coloured powder called ‘Roli’ is made into a paste and is used to draw the tilak along with few grains of rice.

The sisters make their brothers sit on an ‘Asana’ and draws the tilak on the forehead of the brother. If the sister is elder then she blesses her brother with rice grains and dubya, a special type of grass, when the brother touches her feet.

It is customary in Bengal on the part of the sister if she is elder, to draw the Tilak with the little finger of the left hand and with that of the right hand if she is younger from her brother. At this gifts are exchanged which marks the immense love and affection between the brother and sister. After this the brothers are served sweets and then the whole family engages into singing songs, play games and anything that is enjoyed by all.


Remembering Bhai Dooj


Remembering Bhai Dooj :- As a young girl, I never knew the actual meaning of Bhai Dooj. I celebrated the day because my Mom said, “It is a special day for brother and sister.” On this day, it was very important for my brothers and my cousins to receive this gift from me. In my heart I never really knew what it meant, so it was not as important to me, but I did it for tradition.
After I got married, I let the tradition go. After marriage, last year was the first time I felt like doing it. So, I did. The response from my brothers was amazing! It seemed like a fire was rekindled. We started talking more often and a relationship started to build again. Over the years, with marriage, work, children, I drifted away in actual contact, but never in heart. It felt so good to have my brothers call me and say “thank you” and “I love you”. To hear those words after so long was the most wonderful feeling in the world.
One day I was thinking about how it was when we were young. How mean I was as the older sister, bossy, mean and fighting with them. I never thought in a million years I would ever miss them or wish we were kids again, just for one day. I realized how I took for granted the special times of our youth. I realized what a special bond we have with each other. I realized they will always be there for me, no matter what. In that, I have found great comfort and the regrets of days past linger no more. But are filled with cords of a love song that only my brothers can sing. I thank God for blessing me with them. I am proud of all they have accomplished. It brings a smile to my heart when I see the two little boys who grew up to be very amazing men.
This bond of sacred love between a brother and a sister, means more to me than a tradition. To me, Bhai Dooj is a symbol of the love, respect and honor I have for them.


The importance of celebrating Bahi Dooj


Importance of celebrating Bahi Dooj :- The festival marked by the sister applying the tikka on the brother’s forehead, Bhai Dooj Puja is usually performed in the mother’s house. So, for married sisters, it is very essential to visit their native place in order to perform this puja. This is one of the many festivals in India which re-emphasize on the importance of human bonding.
Bhai Dooj is celebrated two days after Diwali. According to the legends, many years ago, onh this pious day, Yamraj, the Lord of death visited His sister Yamuna, also called Yami. In order to welcome her brother, she had put the auspicious tilak on his forehead, and then they ate, talked and enjoyed together and exchanged special gifts as a token of their love for each other.
Since then it became inevitable for the brother to go to his sister’s house to celebrate Bhaiya Dooj. It is a day dedicated to sisters. The sister usually goes in the morning and does the Puja in the mother’s house, before the brothers leave for their places of study or work.


भाई दूज की कविता Bhai Dooj Kavita


  • भाई दूज की पूजा कर,
    करती हूँ उसका इंतज़ार.
  • कब आएगा मुझसे मिलने ,
    कब सजेगा मेरा द्वार.
  • सजा कर थाल बैठी हूँ भाई,
    मिष्ठान और मेवे लाई हूँ भाई.
  • मत खेल मुझसे आँख मिचौली,
    प्यार से भर दे मेरी झोली.
  • कब आएगा मेरे द्वार ,
    कब खत्म होगा ये इन्तजार.|

भाई दूज की बधाई शायरी शुभकामनायें Bhai Dooj Shayari Status


  • बहन करती हैं भाई का दुलार
    उसे चाहिये बस उसका प्यार
    नहीं करती किसी तौहफे की चाह
    बस भाई को मिले खुशियाँ अथाह
  • न सोना न चांदी
    न कोई हाथी की पालकी
    बस मेरे से मिलने आओ भाई
    प्रेम से बने पकवान खाओ भाई
  • हे ईश्वर बहुत प्यारा हैं मेरा भाई
    मेरी माँ का दुलारा हैं मेरा भाई
    न देना उसे कोई कष्ट भगवन
    जहाँ भी हो ख़ुशी से बीते उसका जीवन
  • थाल सजा कर बैठी हूँ अँगना
    तू आजा अब इंतजार नहीं करना
    मत डर अब तू इस दुनियाँ से
    लड़ने खड़ी हैं तेरी बहन सबसे
  • प्रेम से सजा हैं ये दिन
    कैसे कटे भाई तेरे बिन
    अब ये मुस्कान बोझ सी लगती हैं
    तू आजा अब ये सजा नहीं कटती हैं
  • खुशियों की शहनाई आँगन में बजे
    मेरे भाई के द्वारा सदा दीपक से सजे
    न हो कोई दुःख उसके जीवन में
    बस कृपा हो तेरी भगवन सदा जीवन में

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