धनतेरस का मतलब
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धनतेरस का मतलब :- आज धनतेरस का पवित्र महापर्व है | जिसे ब्रह्माण्ड के पहले चिकित्सक “धन्वन्तरी” की याद में मनाया जाता है क्योंकि, वस्तुतः स्वास्थ्य ही सबसे अमूल्य धन है |
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस की पूजा के साथ ही दीपावली के आयोजन शुरू हो जाते हैं। कारोबारियों के लिए धनतेरस का खास महत्व होता है क्योंकि धारणा है कि इस दिन लक्ष्मी पूजा से समृद्धि, खुशियां और सफलता मिलती है।
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त में की जानी चाहिए। पूजा सूर्यास्त और दिन के अंत के अगले एक घंटे और 43 मिनट के बाद शुरू की जा सकती है। धनतेरस पूजा को धनवंतरी त्रियोदशी, धनवंतरी जयंती पूजा, यमद्वीप और धनत्रयोदशी के रूप में भी कहा जाता है।
लेकिन सिर्फ इतना ही बताने पर कुछ मूर्ख और अल्पबुद्धि के प्राणी ये प्रश्न कर सकते हैं कि भाई अगर स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है तो आज के दिन कोई दवाई वगैरह खाना चाहिए भला आज के दिन धातु की खरीददारी क्यों की जाती है ?
आगे बढ़ने से पहले ये बताना परम आवश्यक है कि आज के ही दिन मतलब आश्विन महीने के 13 वें दिन समुद्र मंथन के दौरान ब्रह्माण्ड के प्रथम चिकिसक भगवान् धन्वन्तरी हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे और ऐसी मान्यता है कि आज के दिन धातु घर लाने से उसके साथ अमृत के अंश भी घर आते हैं और, अमृत अच्छे स्वास्थ्य की गारंटी होती है इसीलिए, आज धनतेरस के दिन दवाई ना खा कर धातु ख़रीदा जाता है क्योंकि, दवाई से तो बीमारी का तात्कालिक समाधान होगा जबकि अमृत घर लाने से बीमारी ही नहीं आएगी |
अब साथ ही मैं यह भी बताना चाहूँगा कि जिस किसी भी अत्यधिक पढ़े लिखे व्यक्तियों (???) को समुद्र मंथन की घटना काल्पनिक लगती हो वे बिहार राज्य के भागलपुर में स्थित “मंदारहिल” पर्वत को जा कर देख सकते हैं जो आज भी मौजूद है और उस पर समुद्र मंथन के दौरान हुए रस्सी के (शेषनाग) रगड़ के निशान अभी तक मौजूद हैं |
धनतेरस के बारे में एक बहुत ही प्रचलित किवदंती यह भी है कि :- राजा हिमा का एक 16 साल का पुत्र था जो कि कुंडली के अनुसार अल्पायु था और, कुंडली के अनुसार शादी के चौथे दिन उसकी मृत्यु सर्पदंश से होनी थी |
परन्तु शादी के चौथे दिन उसकी युवा और चतुर पत्नी ने राजकुमार को कहानियां एवं गीत सुना कर उसे रात भर सोने नहीं दिया और, राजकुमार के चारो तरफ दीप प्रज्ज्वलित कर दिया साथ ही शयनकक्ष के बाहर सोने-चाँदी के सिक्कों की ढेर लगा कर रख दी |
विधि के विधान के अनुसार समय पर नागिन के रूप में यमदूत आए परन्तु, सोने-चाँदी के सिक्कों की चमक के कारण नागिन की आँखें चौंधिया गयी और वो आगे नहीं बढ़ पायी और वहीँ बैठ गयी यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि सांप बहुत तेज रोशनी में नहीं देख पाते हैं | और अगली सुबह वापस लौट गयी |
इस तरह राजकुमार की युवा पत्नी ने अपने चातुर्य एवं कौशल से उस मनहूस घडी को टाल दिया और अपने पति को बचा लिया |
इसीलिए आज की रात को “यमदीपदान” के रूप में भी मनाया जाता है और, रात भर दीप जला कर बाहर जल रखा जाता है |
धनतेरस कैसे मनायी जाती है
धनतेरस कैसे मनायी जाती है :- इस महान अवसर पर लोग सामान्यतः अपने घरों की मरम्मत कराते है, साफ सफाई और पुताई कराते है, आंतरिक और बाहरी घर सजाते है, रंगोली बनाते है, मिट्टी के दीये जलाते है और कई और परंपराओं का पालन करते है।
वे अपने घर धन और समृद्धि लाने के लिए देवी लक्ष्मी के तैयार किए गए पैरों के निशान चिपकाते हैं।
सूर्यास्त के बाद, देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की गुलाब और गेंदें के फूलों की माला, मिठाई, घी के दिये, धूप-दीप, अगरबत्ती, कपूर को अर्पित करके समृद्धि, बुद्धिमत्ता और अच्छे के लिये पूजा करते है।
लोग देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश के मंत्रोंच्चारण, भक्ति गीत और आरती गाते है। लोग नये कपङे और गहने पहनकर जुऍ का खेल खेलते है।
धनतेरस का महत्व
धनतेरस का महत्व:- धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी इस दिन का विशेष महत्त्व है। शास्त्रों में इस बारे में कहा है कि जिन परिवारों में धनतेरस के दिन यमराज के निमित्त दीपदान किया जाता है, वहां अकाल मृत्यु नहीं होती।
धनतेरस पर घर में नई चीजों को लाना बहुत शुभ माना जाता है। लोग कैलेंडर के अनुसार शुभ मुहूर्त के दौरान लक्ष्मी पूजा करते हैं। कुछ स्थानों पर सात अनाज (गेहूं, चना, जौ, उड़द, मूंग, मसूर) की पूजा की जाती है। माता लक्ष्मी की पूजा के दौरान सुनहरा फूल और मिठाई अर्पित की जाती हैं।
इस दिन घरों को स्वच्छ कर, लीप—पोतकर, चौक, रंगोली बना सायंकाल के समय दीपक जलाकर लक्ष्मी जी का आवाहन किया जाता है। इस दिन पुराने बर्तनों को बदलना व नए बर्तन ख़रीदना शुभ माना गया है। इस दिन चांदी के बर्तन ख़रीदने से तो अत्यधिक पुण्य लाभ होता है। इस दिन हल जुती मिट्टी को दूध में भिगोकर उसमें सेमर की शाखा डालकर लगातार तीन बार अपने शरीर पर फेरना तथा कुंकुम लगाना चाहिए। कार्तिक स्नान करके प्रदोष काल में घाट, गौशाला, कुआं, बावली, मंदिर आदि स्थानों पर तीन दिन तक दीपक जलाना चाहिए। तुला राशि के सूर्य में चतुर्दशी व अमावस्या की सन्ध्या को जलती लकड़ी की मशाल से पितरों का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए।
यह त्यौहार सभी लोगों के जीवन में एक बड़ी भूमिका निभाता है। यह सभी के लिए एक बहुत खुशी, धन, समृद्धि, बुद्धि और अच्छा भाग्य लाता है। लोग अपने आस पास से बुरी ऊर्जा और आल्स्य को हटाने के लिये सभी वस्तुओं को साफ करते है। पूजा करने से पहले लोग अपने शरीर, मस्तिष्क और आत्मा को साफ ककरने के लिये नहाते है।
धन त्रयोदशी के दिन देव धनवंतरी देव का जन्म हुआ था. धनवंतरी देव, देवताओं के चिकित्सकों के देव है. यही कारण है कि इस दिन चिकित्सा जगत में बडी-बडी योजनाएं प्रारम्भ की जाती है. धनतेरस के दिन चांदी खरीदना शुभ रहता है.
धनतेरस की परंपराऍ
धनतेरस की परंपराऍ :- हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार हिंदुओं द्वारा इस समारोह के अनुसरण करने के पीछे विभिन्न रीति रिवाजों और परंपराओं की किस्में है। लोग नयी चीजें जैसें सोने व चॉदी के सिक्के, गहने, नये बर्तन और अन्य नयी वस्तुओं को खरीदने को अच्छा विचार मानते है। लोगो का मानना है कि घर में नयी चीजें लाना पूरे वर्ष के लिये लक्ष्मी को लाने की पहचान है। लक्ष्मी पूजा शाम को की जाती है, और लोग बुरी आत्माओं परछाई को दूर करने के लिये विभिन्न दीये जलाते है। लोग बुरी शक्तियों को भी दूर करने के लिये भक्ति के गाने, आरती और मंत्र गाते है।
गाँव में लोग अपने मवेशियों को सजाते है और उनकी पूजा करते है क्योंकि उनकी आय का मुख्य स्त्रोत वे ही होते है। दक्षिण भारतीय लोग गायों को सजा कर देवी लक्ष्मी के एक अवतार के रूप में उनकी पूजा करते हैं।
धनतेरस व्रत पूजा विधि dhanteras vrat puja vidhi in hindi
धनतेरस व्रत पूजा विधि :- लक्ष्मी जी व गणेश जी की चांदी की प्रतिमाओं को इस दिन घर लाना, घर- कार्यालय,. व्यापारिक संस्थाओं में धन, सफलता व उन्नति को बढाता है.
माता लक्ष्मीजी के पूजन की सामग्री :- अपने सामर्थ्य के अनुसार होना चाहिए। इसमें लक्ष्मीजी को कुछ वस्तुएँ विशेष प्रिय हैं। उनका उपयोग करने से वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं। इनका उपयोग अवश्य करना चाहिए। वस्त्र में इनका प्रिय वस्त्र लाल-गुलाबी या पीले रंग का रेशमी वस्त्र है।
माताजी को पुष्प में कमल व गुलाब प्रिय है। फल में श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े प्रिय हैं। सुगंध में केवड़ा, गुलाब, चंदन के इत्र का प्रयोग इनकी पूजा में अवश्य करें। अनाज में चावल तथा मिठाई में घर में बनी शुद्धता पूर्ण केसर की मिठाई या हलवा, शिरा का नैवेद्य उपयुक्त है।
प्रकाश के लिए गाय का घी, मूंगफली या तिल्ली का तेल इनको शीघ्र प्रसन्न करता है। अन्य सामग्री में गन्ना, कमल गट्टा, खड़ी हल्दी, बिल्वपत्र, पंचामृत, गंगाजल, ऊन का आसन, रत्न आभूषण, गाय का गोबर, सिंदूर, भोजपत्र का पूजन में उपयोग करना चाहिए।
इस दिन भगवान धनवन्तरी समुद्र से कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिये इस दिन खास तौर से बर्तनों की खरीदारी की जाती है. इस दिन बर्तन, चांदी खरीदने से इनमें 13 गुणा वृ्द्धि होने की संभावना होती है. इसके साथ ही इस दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखना भी परिवार की धन संपदा में वृ्द्धि करता है. दीपावली के दिन इन बीजों को बाग/ खेतों में लागाया जाता है ये बीज व्यक्ति की उन्नति व धन वृ्द्धि के प्रतीक होते है.
धन तेरस पूजन की तैयारी:- चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे। लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें। पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठें। कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें। नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक है।
दो बड़े दीपक रखें। एक में घी भरें व दूसरे में तेल। एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में। इसके अतिरिक्त एक दीपक गणेशजी के पास रखें।
मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियां बनाएं। गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियां बनाएं। ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं। नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं।
इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी। सबसे ऊपर बीचोंबीच ॐ लिखें। छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें। थालियों की निम्नानुसार व्यवस्था करें- 1. ग्यारह दीपक, 2. खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान, 3. फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक।
इन थालियों के सामने यजमान बैठे। आपके परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर बैठें। कोई आगंतुक हो तो वह आपके या आपके परिवार के सदस्यों के पीछे बैठे।
diwali puja vidhi in hindi
(1) लक्ष्मी, (2) गणेश, (3-4) मिट्टी के दो बड़े दीपक, (5) कलश, जिस पर नारियल रखें, वरुण (6) नवग्रह, (7) षोडशमातृकाएं, (8) कोई प्रतीक, (9) बहीखाता, (10) कलम और दवात, (11) नकदी की संदूकची, (12) थालियां, 1, 2, 3, (13) जल का पात्र, (14) यजमान, (15) पुजारी, (16) परिवार के सदस्य, (17) आगंतुक।
पूजा की संक्षिप्त विधि :- सबसे पहले पवित्रीकरण करें।
आप हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा सा जल ले लें और अब उसे मूर्तियों के ऊपर छिड़कें। साथ में मंत्र पढ़ें। इस मंत्र और पानी को छिड़ककर आप अपने आपको पूजा की सामग्री को और अपने आसन को भी पवित्र कर लें।
धन तेरस की पूजा शुभ मुहुर्त में करनी चाहिए. सबसे पहले तेरह दीपक जला कर तिजोरी में कुबेर का पूजन करना चाहिए. देव कुबेर का ध्यान करते हुए, भगवान कुबेर को फूल चढाएं और ध्यान करें, और कहें, कि हे श्रेष्ठ विमान पर विराजमान रहने वाले, गरूडमणि के समान आभावाले, दोनों हाथों में गदा व वर धारण करने वाले, सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृ्त शरीर वाले, भगवान शिव के प्रिय मित्र देव कुबेर का मैं ध्यान करता हूँ.
ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः
कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥
अब पृथ्वी पर जिस जगह आपने आसन बिछाया है, उस जगह को पवित्र कर लें और मां पृथ्वी को प्रणाम करके मंत्र बोलें
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥
पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः
अब आचमन करें
पुष्प, चम्मच या अंजुलि से एक बूंद पानी अपने मुंह में छोड़िए और बोलिए-
ॐ केशवाय नमः
और फिर एक बूंद पानी अपने मुंह में छोड़िए और बोलिए-
ॐ नारायणाय नमः
फिर एक तीसरी बूंद पानी की मुंह में छोड़िए और बोलिए-
ॐ वासुदेवाय नमः
फिर ॐ हृषिकेशाय नमः कहते हुए हाथों को खोलें और अंगूठे के मूल से होंठों को पोंछकर हाथों को धो लें। पुनः तिलक लगाने के बाद प्राणायाम व अंग न्यास आदि करें। आचमन करने से विद्या तत्व, आत्म तत्व और बुद्धि तत्व का शोधन हो जाता है तथा तिलक व अंग न्यास से मनुष्य पूजा के लिए पवित्र हो जाता है।
आचमन आदि के बाद आंखें बंद करके मन को स्थिर कीजिए और तीन बार गहरी सांस लीजिए। यानी प्राणायाम कीजिए क्योंकि भगवान के साकार रूप का ध्यान करने के लिए यह आवश्यक है फिर पूजा के प्रारंभ में स्वस्तिवाचन किया जाता है। उसके लिए हाथ में पुष्प, अक्षत और थोड़ा जल लेकर स्वतिनः इंद्र वेद मंत्रों का उच्चारण करते हुए परम पिता परमात्मा को प्रणाम किया जाता है। फिर पूजा का संकल्प किया जाता है। संकल्प हर एक पूजा में प्रधान होता है।
संकल्प – आप हाथ में अक्षत लें, पुष्प और जल ले लीजिए। कुछ द्रव्य भी ले लीजिए। द्रव्य का अर्थ है कुछ धन। ये सब हाथ में लेकर संकल्प मंत्र को बोलते हुए संकल्प कीजिए कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हों। सबसे पहले गणेशजी व गौरी का पूजन कीजिए। उसके बाद वरुण पूजा यानी कलश पूजन करनी चाहिए।
हाथ में थोड़ा सा जल ले लीजिए और आह्वान व पूजन मंत्र बोलिए और पूजा सामग्री चढ़ाइए। फिर नवग्रहों का पूजन कीजिए। हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए। इसके बाद भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन किया जाता है। हाथ में गंध, अक्षत, पुष्प ले लीजिए। सोलह माताओं को नमस्कार कर लीजिए और पूजा सामग्री चढ़ा दीजिए।
सोलह माताओं की पूजा के बाद रक्षाबंधन होता है। रक्षाबंधन विधि में मौली लेकर भगवान गणपति पर चढ़ाइए और फिर अपने हाथ में बंधवा लीजिए और तिलक लगा लीजिए। अब आनंदचित्त से निर्भय होकर महालक्ष्मी की पूजा प्रारंभ कीजिए।
धनतेरस पर शुभ महूर्त
सांय काल में शुभ महूर्त
Auspicious Time During the Evening
17:35 से 18:20 तक का समय धन तेरस की पूजा के लिये विशेष शुभ रहेगा.
धनतेरस में क्या खरीदें
What to Buy During Dhanteras
लक्ष्मी जी व गणेश जी की चांदी की प्रतिमाओं को इस दिन घर लाना, घर- कार्यालय,. व्यापारिक संस्थाओं में धन, सफलता व उन्नति को बढाता है.
इस दिन भगवान धनवन्तरी समुद्र से कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिये इस दिन खास तौर से बर्तनों की खरीदारी की जाती है. इस दिन बर्तन, चांदी खरीदने से इनमें 13 गुणा वृ्द्धि होने की संभावना होती है. इसके साथ ही इस दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखना भी परिवार की धन संपदा में वृ्द्धि करता है. दीपावली के दिन इन बीजों को बाग/ खेतों में लागाया जाता है ये बीज व्यक्ति की उन्नति व धन वृ्द्धि के प्रतीक होते है.
धन तेरस पूजन
Dhanteras Puja
धन तेरस की पूजा शुभ मुहुर्त में करनी चाहिए. सबसे पहले तेरह दीपक जला कर तिजोरी में कुबेर का पूजन करना चाहिए. देव कुबेर का ध्यान करते हुए, भगवान कुबेर को फूल चढाएं और ध्यान करें, और कहें, कि हे श्रेष्ठ विमान पर विराजमान रहने वाले, गरूडमणि के समान आभावाले, दोनों हाथों में गदा व वर धारण करने वाले, सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृ्त शरीर वाले, भगवान शिव के प्रिय मित्र देव कुबेर का मैं ध्यान करता हूँ.
इसके बाद धूप, दीप, नैवैद्ध से पूजन करें. और निम्न मंत्र का जाप करें.
‘यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये
धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा ।’
धनतेरस पर करने योग्य कुछ ज्योतिष उपाय या धनतेरस के टोटके
धनतेरस पर करने योग्य कुछ ज्योतिष उपाय या धनतेरस के टोटके
![धनतेरस पर करने योग्य कुछ ज्योतिष उपाय या धनतेरस के टोटके]()
धनतेरस पर करने योग्य कुछ ज्योतिष उपाय या धनतेरस के टोटके :- धनतेरस के दिन धनवन्तरी, धन की देवी लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और यमराज का पूजन किया जाता है। अपनी आर्थिक हालत को मजबूत करने के लिए धनतेरस का दिन बहुत अहम होता है।
माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने का अद्भुत सबसे उत्तम समय होता है, आइये जाने की क्या छोटे छोटे उपाय कर के हम अपने सोये भाग्य को जगा सकते हैं |
आपको सबसे पहले यह जानकारी देना अति आवश्यक है कि दीपावली एक दिन का नहीं पञ्च दिवसीय पूजन है जिसका प्रारम्भ धनतेरस से हो जाता है और भैया दूज तक चलता है |
28 अक्टूबर-2016 – धनतेरस
29 अक्टूबर-2016 – नरकचतुर्दशी (नरकाचौदस, छोटी दीपावली)
30 अक्टूबर-2016 – 2017 – दीपावली
31 अक्टूबर-2016 – पड़ीवा (अन्नकूट )
1-नवम्बर-2016 – भैया दूज
दीपावली व धनतेरस वास्तु दोष दूर करने हेतु :- आज लगभग सभी घर में वास्तु दोष होता है और वास्तु दोष को शांत करने का सबसे आसान और प्रभाशाली उपाय धनतेरस को पूजन के उपरांत एक दीपक जलाया जाना चाहिए जो भैया दूज तक जलता रहे, इस से उस स्थान के वास्तु दोष शांत होते हैं |
लक्ष्मी कृपा के लिए:- यदि आप चाहते हैं पूरे साल आप पर लक्ष्मी जी खुश रहे तो नरकचतुर्दशी को सफाई के बाद घर के सभी झाड़ू को घर के बाहर फेंक दें और दीपावली वाले दिन बाजार से नयीjhadu झाड़ू खरीद कर लाएं, दीपावली पूजन से पहले पूजन स्थान पर उसी नयी झाड़ू से सफाई करें और पूजन निपटा लें | अगले दिन सूर्योदय से पूर्व पूरे घर में उसी नयी झाड़ू से पूरे घर में झाड़ू लगा के घर का कचरा घर के बाहर फेंक दें | पूरे वर्ष माता लक्ष्मी की पूर्ण कृपा बनी रहेगी
छिपकली से वैसे तो लोगों को घृणा आती है या कई लोग तो डरते हैं, परन्तु यदि छिपकली के दर्शन यदि धनतेरस पर हो जाएँ तो पूरे वर्ष धन की कमी नहीं रहती |
ऋण मुक्ति हेतु उपाय :- ऋण ऐसी समस्या है, जिसमें मनुष्य फँस जाए तो निकल पाना मुश्किल होता है जो इस समस्या से निकल जाता है वह व्यक्ति भाग्यशाली है वरना कई पीढ़ियाँ निकल जाती हैं। दीपावली के दिन छोटा सा टोटका (उपाय) करें। दीपावली की रात्रि को ठीक 12 बजे पाँच गुलाब के फूल लें, इसके पश्चात् डेढ़ मीटर सफेद कपड़ा लेकर अपने सामने बिछाएँ, फिर उसकी चौकोर कर लें, फिर इन पाँचों गुलाब के फूल को एक-एक करके गायत्री मंत्र पढ़ते हुए कपड़े के मध्य में रखते रहें। फिर बाँधकर ऊपर रख दें।
गायत्री मंत्र निम्न है- “ऊँ भुर्भुव: स्व: तत्सवितुवरेण्यम भर्गो देवस्यधीमही धियो योन: प्रचोदयात् ॥”
धन-धान्य एवं विशिष्ट लाभ प्राप्ति हेतु :-दीपावली की रात को बारह बजे से एक के मध्य गंगाजल एवं सवा सौ ग्राम बेसन की पीली बर्फी अपने पास में लेकर आसन पर बैठ जाएँ।
उसके बाद निम्न मंत्र की माला 11 बार जपें। ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवसाय, धन धान्यधिपतयेधन धान्य समृद्धि में देहि दापय स्वाहा ॥
ये कर्म करने के पश्चात पीली मिठाई बच्चों को बाँट दें एवं गंगाजल अपने कार्यस्थल में छिड़क दें। प्रतिदिन 9 माला करने से लक्ष्मी की कृपा से धन्य-धान्य की वृद्धि होगी। व्यापारी बंधु अवश्य करें।
धनतेरस के दिन राशि के अनुसार नीचे लिखे उपाय किए जाएं तो धन-संपत्ति आदि का लाभ होता है।
मेष- यदि आप धनतेरस के दिन शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर तेल का दीपक में दो काली गुंजा डाल दें, तो साल भर आर्थिक अनुकूलता बनी रहेगी। आपका उधार दिया हुआ धन भी प्राप्त हो जाएगा।
वृषभ- यदि आपके संचित धन का लगातार खर्च हो रहा है तो धनतेरस के दिन पीपल के पांच पत्ते लेकर उन्हे पीले चंदन में रंगकर बहते हुए जल में छोड़ दें।
मिथुन- बरगद से पांच फल लाकर उसे लाल चंदन में रंगकर नए लाल वस्त्र में कुछ सिक्कों के साथ बांधकर अपने घर अथवा दुकान में किसी कील से लटका दें।
कर्क- यदि आपको अचानक धन लाभ की आशा हो तो धनतेरस के दिन शाम के समय पीपल वृक्ष के समीप तेल का पंचमुखी दीपक जलाएं।
सिंह- यदि व्यवसाय में बार-बार हानि हो रही हो या घर में बरकत ना रहती हो तो धनतेरस के दिन से गाय को रोज चारा डालने का नियम लें।
कन्या- यदि जीवन में आर्थिक स्थिरता नहीं हो तो धनतेरस के दिन दो कमलगट्टे लेकर उन्हें माता लक्ष्मी के मंदिर में अर्पित करें।
तुला- यदि आप आर्थिक परेशानी से जुझ रहे हैं तो धनतेरस के दिन शाम को लक्ष्मीजी के मंदिर में नारियल चढ़ाएं।
वृश्चिक- यदि आप निरंतर कर्ज में उलझ रहें हो तो धनतेरस के दिन श्मशान के कुएं का जल लाकर किसी पीपल वृक्ष पर चढ़ाएं।
धनु- धनतेरस के दिन गुलर के ग्यारह पत्तों को मोली से बांधकर यदि किसी वट वृक्ष पर बांध दिया जाए, तो आपकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी।
मकर- यदि आप आर्थिक समस्या से परेशान है, किंतु रूकावटें आ रही हों, तो आक की रूई का दीपक शाम के समय किसी तिहारे पर रखने से आपको धन लाभ होगा।
कुंभ- जीवन स्थायी सुख-समृद्धि हेतु प्रत्येक धनतेरस की रात में पूजन करने वाले स्थान पर ही रात्रि में जागरण करना चाहिए।
मीन- यदि व्यवसाय में शिथिलता हो तो केले के दो पौधे रोपकर उनकी देखभाल करें तथा उनके फलों को नहीं खाएं।